है प्यार या नफरत उसका खुदा जाने ?
दोस्तों मै आज आप लोगों के बीच अपना कुछ तजुर्बा रखता हूं जो प्यार के लिए है किस तरह से कोई किसी से प्यार करता है और जब उसे खुद से भी जायादा प्यार हो जाते है तो वो अपने प्यार के लिया क्या कुछ नही कर जाता है | उसे लगता है की वो ही मेरा सब कुछ है | और वो सारी दुनिया से इतनी बड़ी ताकत से अकेले लड़ने के लिए तैयार हो जाता है | इसी कर्म में बहुत सारे lovers शेरो सायरी और Poem की दुनिया में खो जाते है | उसी प्यार के कदमो में मेरे तरफ से कुछ Poem विशेषकर आप लोगो के लिए ..........
तेरा शुक्रिया
है प्यार या नफरत उसका सच खुदा जाने,
वो हमसे हाथ मिलाये पहन कर दास्ताने |
हर एक लोग से मुआफी की गुजारिस है मेरा ,
जो मैंने कुछ भी बिगाडा हो जाने अनजाने |
है तेरा शुक्रिया जो तूने गम दिए मुझको ,
इसी बहाने मेरे शेर गये पहचाने |
प्यार में डूब कर पाए है आंसुओं के मोती ,
कभी प्यार दिया नही सिवाय समझाने |
है इज्जत ख़ुशी बहुत जहाँ में मगर ,
पर किसी ने दिया ना तो कोई सुना नही मेरा अफसाने |
शब्दार्थ- मुआफी = माफ़ी
शेर = चेहरा . हकीकत
अफसाने = दिल की आवाज
वो क्या जाने
शम्मा और गुल से दिल अपना सजायी होगी ,
दिल के दर्द को यूँ छुपायी होगी |
आ गयी होगी वो बहकावे में गैरो के जरुर ,
उसने दानिस्ता मेरा दिल न दुखायी होती|
घर जो औरो का जला देते है वो क्या जाने ,
तिनका - तिनका किसी ने कैसे जुटाया होगा|
अब उतरता ही नहीं है मेरे नशा हरगिज ,
तूने पैमाने में अश्को को मिलाई होगी |
आग के फुल बारिशो में खिल गये ,
प्यार ने येसा नजारा दिखाया होगा |
शब्दार्थ- शम्मा = रोशनी
गुल = फुल
दानिस्ता= जानबूझ कर
हरगिज = कभी भी नही or बिल्कुल
पैमाना = शराब भरा गिलास
अश्क = आँसू
दिल का दर्द
ये प्यार और अपनी हस्ती ,
आग का दरिया मोम की बस्ती |
रहबर गुजरी दिल के रास्ते ,
उजड़ गयी वो दामन की बस्ती |
मख्खन चोर पर बरसी है घटाये प्यार की ,
और अपनी जमी प्यासी प्यार बिन तरसती |
कुछ अफसाने सुन कर तेरे '''chand'''
लब रोते और आखें हसती |
खुशबु सा बिखरता है अब प्यार अपना ,
कुछ मेरे गुजारिश में, कुछ तेरे बहनो में ||
ये प्यार और अपनी हस्ती ,
आग का दरिया मोम की बस्ती |
रहबर गुजरी दिल के रास्ते ,
उजड़ गयी वो दामन की बस्ती |
मख्खन चोर पर बरसी है घटाये प्यार की ,
और अपनी जमी प्यासी प्यार बिन तरसती |
कुछ अफसाने सुन कर तेरे '''chand'''
लब रोते और आखें हसती |
खुशबु सा बिखरता है अब प्यार अपना ,
कुछ मेरे गुजारिश में, कुछ तेरे बहनो में ||
शब्दार्थ - हस्ती = छमता
कश्ती = नाव
दामन = सीना
घटाए = बारिस
लब = ओठ
अफसाने = दिल की आवाज
दोस्तों ये थी मेरे हिसाब से 21 सताब्दी का poem यदि आप लोगों को ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो आप लोग अपना कमेंट जरूर दें | शेयर भी करें धन्यवाद"
By - AJEET SINGH
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